RBI की नई मौद्रिक नीति रिपोर्ट (अक्टूबर 2025): आम जनता और बैंकों पर क्या असर पड़ेगा? 🤯

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भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की नई मौद्रिक नीति रिपोर्ट अक्टूबर 2025 में जारी हुई है, जिसमें रेपो रेट को स्थिर रखा गया है और देश की आर्थिक स्थिति को लेकर सकारात्मक संकेत दिए गए हैं।

भारतीय रिज़र्व बैंक हर दो महीने में मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद मौद्रिक नीति रिपोर्ट जारी करता है। इसका मुख्य उद्देश्य मूल्य स्थिरता (price stability) बनाए रखना और आर्थिक विकास (economic growth) को बढ़ावा देना है


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RBI Monetary Policy October 2025

🤝 रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं

भारतीय रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट को 5.50% पर स्थिर रखा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि बैंक आर्थिक विकास को बनाए रखने और वित्तीय स्थिरता के बीच संतुलन बना रहा है।


📈 GDP ग्रोथ का अनुमान बढ़ा

⚫ FY 2025-26 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान को 6.5% से बढ़ाकर 6.8% कर दिया गया है।

⚫ Q1 में भारत की GDP ग्रोथ 7.8% रही — पिछले सात तिमाहियों में सबसे तेज़।

⚫ Q2: 7.0%, Q3: 6.4%, Q4: 6.2% अनुमानित है।

⚫ FY 2026-27 के लिए ग्रोथ अनुमान 6.6% रखा गया है।


🛒 महंगाई पर नियंत्रण

⚫ CPI महंगाई दर घटकर 2.6% हो गई है, जो पहले 3.1% अनुमानित थी।

⚫ जुलाई 2025 में CPI महंगाई दर 1.6% रही — पिछले 8 वर्षों में सबसे कम।

⚫ खाद्य वस्तुओं की कीमतों में 9 महीने की गिरावट (10.5%) ने महंगाई को नीचे रखा।


🌍 वैश्विक एजेंसियों का भरोसा

🔵 IMF: 6.4%  

🔵 Fitch: 6.9%  

🔵 S&P Global: 6.5%  

🔵 United Nations: 6.3%  

🔵 OECD: 6.7%  

🔵 CII: 6.4–6.7%

इन सभी एजेंसियों ने भारत की आर्थिक मजबूती, निवेश वृद्धि और स्थिर बाहरी क्षेत्र को सराहा है।


💰 चालू खाता घाटा और विदेशी निवेश

⚫ चालू खाता घाटा घटकर 0.2% रह गया है (पिछले साल 0.9%)।

⚫ US$ 35.3 बिलियन के मजबूत रेमिटेंस ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा निजी रेमिटेंस प्राप्तकर्ता बना दिया।

⚫ FDI इनफ्लो: US$ 37.7 बिलियन (अप्रैल-जुलाई 2025)  

⚫ नेट इनफ्लो: US$ 10.8 बिलियन — मुख्य रूप से सिंगापुर, अमेरिका, मॉरीशस, UAE और नीदरलैंड से।


📊 शेयर बाजार और रुपया

🔵 BSE Sensex में 3.9% की वृद्धि (अप्रैल-सितंबर 2025)

🔵 MidCap: +7.7%, SmallCap: +12.1%

🔵 भारतीय रुपया वैश्विक अस्थिरता के बावजूद सबसे स्थिर करेंसी में से एक रहा।


✅ निष्कर्ष

RBI की रिपोर्ट बताती है कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत उपभोग, निवेश और सरकारी खर्च के कारण स्थिर बनी हुई है।  

महंगाई नियंत्रण में है, विदेशी निवेश बढ़ रहा है, और वैश्विक एजेंसियां भारत की ग्रोथ को लेकर आशावादी हैं।


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